Friday, May 12, 2023

तेल का तमाशा

चोटियों को माँ इतना कस कर बांधती थी मानो उनकी मदद से मैंने पहाड़ चढ़ने हो- तेल से चमकती और महकती हुई इन चोटियों को काले रिबन से सजाया जाता और फिर दोनो तरफ़ काली पिंस! बालों को छूने के लिए मैं जैसे ही हाथ ऊपर करती, वैसे ही माँ की आवाज़ आती-“ छेड़ना मत! मुश्किल से बनाई हैं. तेल से दिमाग़ तेज होता हैं और खुश्की नहीं होती.” दिमाग़ का तो पता नहीं, तेल की इस एक्स्ट्रा डोस से सोशल डिस्टन्सिंग ज़रूर हो जाती थी. ऐसा लगता था कि पूरे महीने का तेल मेरे सिर में भर दिया है! पर माँ से बहस करने की हिम्मत नहीं होती, चुपचाप बैग में लंच बॉक्स रख और पानी की बॉटल उठा कर घर से बस स्टाप की ओर चल देती.

दो कदम चली भी नहीं कि पीछे से मुक्ता की आवाज़ आती, “ सिम्मी, रुक मैं भी चलती हूँ बस एक बुक रखनी है.” मैं घर के बाहर खड़े हो कर अपनी सिर पर हाथ फेरने वाली ही थी कि अचानक से पूनम आंटी मिल गयी. “ लगता है आज माँ ने खूब अच्छे से तेल लगाया है, धूप में चमक रहे है बाल!” मन करा पलट कर जवाब दूँ पर माँ की डाँट के डर से चुप हो जाती. इतने में मुक्ता की कर्णभेदी आवाज़ , “जल्दी चल नहीं तो बस मिस हो जाएगी” के साथ ताल मिला बस स्टॉप की और रुख़ कर लिया. 
अब आगे का हाल सुनिये- तेल से चमकते और महकते बाल आज का विशेष टॉपिक बन गया था. जिसको देखो मेरे बालों के पीछे पड़ गया था. बस क्या और क्लासरूम क्या!! मैं तो सबके लिये इंटरटेनमेंट-इंटरटेनमेंट-इंटरटेनमेंट बन गई थी.

रुचि ने फ़िकरा कसा,” ओहो जी, आज तो आंटी ने अच्छे से रगड़ाई कर दी है. सब बच के रहना, आज इसका दिमाग़ ज़रूरत से ज़्यादा तेज़ चलेगा. “ इस पहले मैं कुछ कहती श्रुति बोल पड़ी, “ हाय, मेरी साईकिल कुछ रुक- रुक कर चल रही है, सोचती हूँ थोड़ा सा तेल तुझ से उधार ले ऑलिंग कर दूँ तो बढ़िया चलने लगेगी.” 
आजू-बाजू में बैठी कनिका और पूनम खी-खी करने लगी तो मुझे बहुत बुरा लगा- ऐसा था कि बस कोई एक और बात बोलेगा तो मेरे आँखों से आँसुओं की गंगा बह निकलेगी. 
इससे पहले की कोई और विष से भरा बाण चलता, मिसेज़ चोपड़ा ने क्लास में एंट्री मारी. उनके क्लास में आते ही सब कुछ अपनी जगह ठिकाने पर आ गया. दीपा, कनु और विद्या झट से अपनी सीट पर वापिस आ कर बैठ गयी, सुमन और मनीषा ने अपनी कॉन्वर्सेशन रोक दी, नीलू, पूनम और मोनिका को तो मानो साँप सूँघ गया- होंठों पर उँगली रख अपनी जगह पर चली गयीं. दीपाली तो जैसे स्टैचू ही बन गयी थी - टीचर के ना आने का फ़ायदा उठा वह अपनी कलाकारी के नमूनों से ब्लैकबोर्ड को सजा रही थी.
 “ क्या हो रहा इस क्लास में? चलिए, अपनी सीट्स पर जाइए - ठूंठ सी लंबी लड़कियाँ हैं पर अक्ल टखनों में भी नहीं.
और आप ये क्या चित्रकारी कर रहीं हैं?”
 दीपाली को तो मानो साँप सूँघ गया हो! 
“ मैं आप से बात कर रही हूँ! डस्टर उठा कर सारी चित्रकारी साफ़ करिये और अपनी सीट पर जायें.” 
दीपाली ने सुपर स्पीड से ब्लैकबोर्ड को साफ़ करा और अपनी सीट की तरफ़ लपक ली.
“ अजीब बच्चियाँ हैं आजकल की - क्लास टीचर नहीं आयी है तो क्लास को मच्छी बाज़ार बना दिया. शर्म करिए कुछ. क्यों अपने स्कूल की और माँ- बाप की इज़्ज़त उतरवाने में लगी हो ?”
मेरे पीछे बैठी मनीषा फुसफुसाई, “हे भगवान! इतना सुना डाला - थोड़ा सा हँस- खेल लिए तो वह गुनाह हो गया.” 
उसको तो मैंने कुछ नहीं कहा - पर हँसी मज़ाक़ ऐट माय कॉस्ट!! मेरे लिये तो अच्छा ही हुआ क्योंकि मैं अपने बालों के बारे में कोई भी और बकवास झेलने के मूड में नहीं थी. मेरा सैचुरेशन पॉइंट आ गया था! ये तो एकदम देवदूत जैसे प्रकट हुईं थी और मुझे अनवांटेड कमेंट्स की दोज़ख़ से बाहर निकल लिया था.

“ अपनी जियोग्राफी की बुक और एटलस निकालिए. प्रेरणा मेहरा! अब आपको अलग से कहना पड़ेगा. जल्दी कीजिये.” दरअसल, मिसेज़ चोपड़ा हमे जियोग्राफी पढ़ाती थी और दुनिया से ज़्यादा वह हमें अपने नये- नये तानों से अवगत करवाती थीं. उनके ताने भी एकदम ओरिजिनल होते- अगर किसी को एटलस में कोई शहर/ देश नहीं मिलता तो उसे वे ऐसे तानों से नवाज़ती- “अभी रेखा - अमिताभ के बारे में कोई खबर ढूँढनी हो तो झट से ढूँढ लोगी. मगर इन देवी जी से सूरीनाम नहीं ढूँढा जा रहा. माँ- बाप के पैसों से होली खेलने का ठेका तो तुम ने ही ले रखा है दीप्ति गुलाटी! जाइये क्लास के बाहर और दरवाज़े की शोभा बढ़ाइये.”
“ किसी और को इनका साथ देना तो अभी बता दीजिए मेरे लिये आसान हो जाएगा.”
सबकी सिट्टी- पिट्टी गुल! सब अपनी आँखें एटलस में गड़ा के बैठ गए - जाने किस पर क्वेश्चन का बम फूटेगा और फिर उत्तर ना देने पर उसका क्या हश्र होगा. 
“ हाँ जी, अब ध्यान से अफ़्रीकन कांटिनेंट को स्टडी कीजिये- फिर मैं आपसे क्वेश्चन पूछूँगी.” 
ओ तेरी! ये तो बेहद ख़तरनाक हो गया - कहाँ से, कैसे, कौन से हिस्से से क्वेश्चन का तीर चलेगा हमें कुछ नहीं पता था. हम सब मुँह में दही जमा अफ़्रीका के मैप में नज़रें घुसा कर उसे ध्यान से स्टडी करने में लग गए.
“ हाँ जी, हो गया? 
निकिता चौबे, बताये कालाहारी डेजर्ट कहाँ है? अपने मैप पर उसे मार्क करके मुझे दिखाइये.”
निकिता इधर- उधर देखने लगी और एकदम ब्लेंक! 
अब आगे की सीट पर बैठने का सबसे बड़ा नुक़सान- टीचर के रडार पर आप सबसे पहले आते हो. 
अब जैसे तैसे उसने मार्क किया और डरते हुए मिसेज़ चोपड़ा के पास के गई.
“ दिखाओ, क्या कर के लायी हो? 
हद हो गई! तुम लड़कियाँ एकदम निकम्मी हो- क़ाम की ना काज की ढाई सेर अनाज की! मेकअप करने में एक्सपर्ट पर अफ़्रीका का नक़्शा समझने में ढोपरशंख. टाइम दिया था ना स्टडी करने का पर नहीं पढ़ाई में तो दिमाग़ लगता ही नहीं है! जाइये और अपनी सहेली के साथ दरवाज़े की शोभा बढ़ाइये.”
उनका तो इतना कहना था और सारी क्लास में सन्नाटा छा गया. निकिता क्लास से बाहर और हम क्लास के अंदर साँस रोके हुए ये सोचने लगे की अब और कौन शहीद होने वाला है.
अपनी मुंडी नीचे कर हम सब अफ़्रीका में घुसे ही थे कि इतने में आवाज़ आयी,” सिम्मी वर्मा चलिए अब आप बताइये कि सहारा डेजर्ट कहाँ है? मार्क करिये और आइये मेरे पास.“
मेरी तो हालत ख़स्ता- सपने में भी ना सोचा था की मेरा नंबर इतना जल्दी आ जाएगा. 
मैप पर मार्क तो कर किया पर मालूम नहीं सही या ग़लत - डरते हुए जैसे ही मिसेज़ चोपड़ा के पास पहुँची और उन्हें मैप पकड़ाया. उन्होंने चश्मे के नीचे से झांकते हुए बोला- “ चलो, कोई तो है जो यहाँ कुछ जानता है वरना मुझे लगा सब की सब गोबर गणेश हो. सब लड़कियाँ मैप में ये ठीक से मार्क करें.”
मैं तो स्तब्ध रह गई अपनी तारीफ़ सुनकर!
मैं जैसे ही सीट पर जाने लगी मिसेज़ चोपड़ा बोली, “जाते-जाते ये भी बता जाना की आज माँ ने सिर में इतना तेल क्यूँ लगाया है? शायद, इसी वजह से तुम्हारा दिमाग़ तेज़ हो गया है.”
उनका तो ये कहना था और पूरी क्लास ज़ोर- ज़ोर से हँसने लगी. मुझे तो समझ नहीं आया की यह क्या हुआ और मेरी आँखों से आँसू! 
तभी मिसेज़ चोपड़ा की आवाज़ गूंजी,” चुप हो जाए सब.” सारी क्लास में पिन ड्राप साइलेंस!
वे उठ कर मेरे पास आयी और बोली, “ इसमें रोने की क्या बात है - तुम तो बहुत प्यारी बच्ची हो. अगर तुम्हें मेरी बात का बुरा लगा तो आई एम सॉरी! ” फिर मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरा और मुझे गले से लगा लिया. 
मिसेज़ चोपड़ा कभी किसी से प्यार भरी बात नहीं कहती थी- हमने हमेशा उनके मुँह से सिर्फ़ ताने ही सुने पर आज लगा की दिल की वो बुरी नहीं है. शायद, मेरे तेल वाले बाल की बदौलत हम उनका दूसरा रूप देख पाये जो हम पहले कभी नहीं देख पाए थे. सॉरी कहना आसान नहीं है पर उन्होंने ये साबित कर दिया की सॉरी कहने से कोई छोटा नहीं हो जाता पर उसका लेवल और बढ़ जाता है! आज ना तो मिसेज़ चोपड़ा हैं और ना ही हम स्कूल में पर एक छोटे से वाक़ये ने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख सीख दी.

1 comment:

  1. Very nice story. Took back to the memory lane. Reminds me of a very loving teacher.

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तेल का तमाशा

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