कोई भी नई टाइप की बदमाशी हो और हम सब उसमें शामिल ना हो ऐसा तो इम्पॉसिबल था! यह तो शायद हमारी जन्मकुंडली में भी नहीं लिखा था।अज़ी, हम थे ही कुछ अलग टाइप के, सब से हट के। घर हो या स्कूल हमारी बदमाशियाँ हम से दो क़दम आगे चलती थी और फिर फटकार मिले या मार हमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था। चलिए, एक मज़ेदार क़िस्सा सुनता हूँ - हुआ यूँ की हम सब क्लास में पहुँचे तो पता चला की क्लास टीचर नहीं आएँगी और मिस शर्मा रेप्लेस्मेंट टीचर होंगी।इतना सुनना था की सब बच्चे शोर मचाने लगे- अब पाँच ख़ाली पिरीयड जाते देख किसे दुःख नहीं पहुँचता।हमने तो कितने सुंदर -सुंदर सपने सज़ा लिए थे अपना समय काटने के लिए।रज्जू का रूबिक क्यूब, पिंटू की अमर चित्र कथा, बबलू का वॉकमैन, शोंटू के फ़ैंटम, फ़्लश गॉर्डन के कॉमिक्स और कितनी चीज़ें हम सब ट्राई करना चाहते थे।और सच जानिए उसके लिए आज का दिन बिलकुल पर्फ़ेक्ट था! शायद हम मासूमों की ख़ुशी से किसी को इतनी ज़्यादा जलन हो गयी की मिस शर्मा को भेज दिया।"अबे, हम कॉमिक्स कैसे पढ़ेंगे और रूबिक क्यूब, उसका क्या बे!" पीछे से मोंटू फुसफुसाया। दिल में आया की उसको एक उलटे हाथ का दूँ, पर मिस शर्मा की पैनी निगाहों से बचना नामुमकिन ही नहीं बेहद मुश्किल भी था।
"खड़े हो जाओ कुर्सी पर, माँ - बाप के पैसे बर्बाद करवाते शर्म नहीं आती।क्या यही सब करने आते हो स्कूल में?" पीछे पलट कर देखा तो बेचारा बिल्लू फिल्मफेअर पढ़ते हुए पकड़ा गया था और उसकी कहानी किसी फ़िल्म से कम नहीं लग रही थी! वो गर्दन झुकाए नान-स्टॉप डाँट की बारिश में भीगा जा रहा था और उसको बचाने वाले प्रभु जी शायद अपनी लंच ब्रेक पर गए थे। क्लास में तनाव बढ़ता जा रहा था और हमारी बोरियत भी! पाँच पिरीयड हम कैसे काटेंगे ये हमारी समझ के बाहर था और फिर पानी में रह कर मगर से भी तो नहीं बैर कर सकते थे। कैसे छुटकारा पायें इस मुसीबत से सबके दिमाग़ में यही एक सवाल था। चलो, फ़ोर ऐ चेंज हम सब यूनाइटेड थे इस मामले में! तभी दीपू के पेन को देख एक मस्त ख़याल आ आया - जो मिस शर्मा की गाड़ी को हमारी कक्षा के स्टेशन से रवाना करवाएगा और हमारा उद्धार भी करेगा। मैंने बबलू और बिट्टू को अपना प्लान बताया और चल पड़ा सिर पर कफ़न बाँध मिस शर्मा की मेज़ की तरफ़- दिल तो ऐसे धड़क रहा था मानो आज ही पूरे जीवन की कसर पूरी कर लेगा! मिस शर्मा ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिख रही थी और मैं उनके पीछे। मैंने पेन झटक कर जैसे ही स्याही उनकी साड़ी पर डाली तो मेरे साथ एक भयानक धोखा हो गया। स्याही ने चाल बदल डाली - अब वो साड़ी की बजाए मिस शर्मा के मुँह की रौनक़ बढ़ा रही थी और मेरा चेहरा फीका पड़ गया था। क्लास में एकदम सन्नाटा छा गया- क्या होगा कोई नहीं जानता था। मैं और मेरी तन्हाई अपने आने वाले काले कल के बारे में कुछ विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि अचानक से एक झनाटेदार झापड ने मुझे मेरी तन्हाई से जुदा कर दिया। फिर क्या, मुझे एक की बजाए कई -कई मिस शर्मा दिखायी देने लगीं!
उसके बाद जो मेरे साथ हुआ, उसका विवरण ना देना ही बेहतर होगा। ये जान लीजिए की स्याही की टेढ़ी चाल ने मेरी चाल सीधी कर दी !
"खड़े हो जाओ कुर्सी पर, माँ - बाप के पैसे बर्बाद करवाते शर्म नहीं आती।क्या यही सब करने आते हो स्कूल में?" पीछे पलट कर देखा तो बेचारा बिल्लू फिल्मफेअर पढ़ते हुए पकड़ा गया था और उसकी कहानी किसी फ़िल्म से कम नहीं लग रही थी! वो गर्दन झुकाए नान-स्टॉप डाँट की बारिश में भीगा जा रहा था और उसको बचाने वाले प्रभु जी शायद अपनी लंच ब्रेक पर गए थे। क्लास में तनाव बढ़ता जा रहा था और हमारी बोरियत भी! पाँच पिरीयड हम कैसे काटेंगे ये हमारी समझ के बाहर था और फिर पानी में रह कर मगर से भी तो नहीं बैर कर सकते थे। कैसे छुटकारा पायें इस मुसीबत से सबके दिमाग़ में यही एक सवाल था। चलो, फ़ोर ऐ चेंज हम सब यूनाइटेड थे इस मामले में! तभी दीपू के पेन को देख एक मस्त ख़याल आ आया - जो मिस शर्मा की गाड़ी को हमारी कक्षा के स्टेशन से रवाना करवाएगा और हमारा उद्धार भी करेगा। मैंने बबलू और बिट्टू को अपना प्लान बताया और चल पड़ा सिर पर कफ़न बाँध मिस शर्मा की मेज़ की तरफ़- दिल तो ऐसे धड़क रहा था मानो आज ही पूरे जीवन की कसर पूरी कर लेगा! मिस शर्मा ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिख रही थी और मैं उनके पीछे। मैंने पेन झटक कर जैसे ही स्याही उनकी साड़ी पर डाली तो मेरे साथ एक भयानक धोखा हो गया। स्याही ने चाल बदल डाली - अब वो साड़ी की बजाए मिस शर्मा के मुँह की रौनक़ बढ़ा रही थी और मेरा चेहरा फीका पड़ गया था। क्लास में एकदम सन्नाटा छा गया- क्या होगा कोई नहीं जानता था। मैं और मेरी तन्हाई अपने आने वाले काले कल के बारे में कुछ विचार-विमर्श कर ही रहे थे कि अचानक से एक झनाटेदार झापड ने मुझे मेरी तन्हाई से जुदा कर दिया। फिर क्या, मुझे एक की बजाए कई -कई मिस शर्मा दिखायी देने लगीं!
उसके बाद जो मेरे साथ हुआ, उसका विवरण ना देना ही बेहतर होगा। ये जान लीजिए की स्याही की टेढ़ी चाल ने मेरी चाल सीधी कर दी !